गालिब की शायरी 03

उग रहा है दर ओ#दीवार पे सब्ज़ा “ग़ालिब “
हम #बयाबान में हैं और #घर में बहार आई है //
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#दर्द हो दिल में तो दवा कीजिये ।
दिल ही जब दर्द हो तो क्या कीजिये।।
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निकलना खुद से आदम का सुनते आये हैं लकिन
बहुत बे #आबरू हो कर तेरे #कूचे से हम निकले।
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आज फिर इस दिल में #बेक़रारी है!
सीना रोए ज़ख्म ऐ कारी है!!
फिर हुए नहीं गवाह ऐ इश्क़ तलब !
अश्क़-बारी का #हुक्म ज़ारी है!!
बे- खुदा , बे_सबब नहीं , "ग़ालिब"!
कुछ तो है जिससे पर्दादारी है!!
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वफ़ा के ज़िक्र में "ग़ालिब" मुझे गुमाँ हुआ /
वो दर्द इश्क़ वफाओं को खो चूका होगा //
जो मेरे साथ #मोहब्बत में हद -ऐ -जूनून तक था /
वो खुद को वक़्त के #पानी से धो चूका होगा //
मेरी आवाज़ को जो साज़ कहा करता था/
मेरी आहोँ को याद कर के सो चूका होगा //
वो मेरा #प्यार , तलब और मेरा चैन ओ क़रार/
जफ़ा की हद में #जमाने का हो चूका होगा//
तुम उसकी #राह न देखो वो ग़ैर था साक़ी/
भुला दो उसको वो #ग़ैरों का हो चूका होगा//
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#दुःख दे कर सवाल करते हो!
तुम भी "ग़ालिब" कमल करते हो!!
देख कर पूछ लिया हाल मेरा!
चलो कुछ तो #ख्याल करते हो!!
शहर ऐ दिल में #उदासियाँ कैसी !
यह भी मुझसे #सवाल करते हो!!
मारना चाहे तो मर नहीं सकते!
तुम भी जिन #मुहाल करते हो!!
अब किस किस की #मिसाल दू में तुम को!
हर सितम बेमिसाल करते हो!!
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नुक्ता चीन है , गम -ऐ -दिल उस को सुनाये न बने।
क्या बने बात , जहाँ बात बनाये न बने।।

मैं बुलाता तो हूँ उस को , मगर ऐ जज़्बा -ऐ -दिल।
उस पे बन जाये कुछ ऐसी , के बिन आये न बने।।
खेल समझा है , कहीं छोड़ न दे , भूल न जाये।
काश ! यूँ भी हो के बिन मेरे सताए न बने।।

खेल #समझा है , कहीं छोड़ न दे #भूल न जाये ।
काश ! यूँ भी हो के बिन मेरे सताए न बने।।
ग़ैर #फिरता है लिए यूँ तेरे खत को कह अगर।
कोई पूछे के ये क्या है तो #छुपाये न बने।।

इस नज़ाकत का बुरा हो वो भले हैं तो किया।
हाथ आएं तो उन्हें हाथ लगाये न बने।।
कह सकेगा कौन ये जलवा गारी किस की है।
पर्दा छोड़ा है वो उस ने के उठाये न बने।।

मौत की रह न #देखूं  के बिन आये न रहे।
तुम को चाहूँ # के न आओ तो #बुलाये न बने।।
इश्क़ पर ज़ोर नहीं , है ये वो #आतिश "ग़ालिब"।
के लगाये न लगे और #बुझाए न बने।।
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तू तो वो जालिम है जो दिल में रह कर भी मेरा न बन सका , ग़ालिब।
और दिल वो काफिर, जो मुझ में रह कर भी तेरा हो गया।।
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तेरे हुस्न को परदे की ज़रुरत नहीं है ग़ालिब।।।
कौन होश में रहता है तुझे देखने के बाद।।।
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हजारों ख्वाहिशें ऐसी की हर ख्वाहिश पे दम निकले।।।
बहुत निकले मेरे अरमान , लेकिन फिर भी कम निकले।।।

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