मैं उसको छोड़ न पाया बुरी लतों* की तरह। - Munwwar Rana

◽मैं उसको छोड़ न पाया बुरी लतों* की तरह।
◽वो मेरे साथ है बचपन* की आदतों की तरह।।
◽मुझे सँभालने* वाला कहाँ से आएगा।
◽मैं गिर रहा हूँ पुरानी इमारतों* की तरह।।
🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹
◽हँसा- हँसा* के रुलाती है रात-दिन दुनिया।
◽सुलूक इसका* है अय्याश औरतों की तरह।।
◽वफा की राह मिलेगी, इसी तमना* में।
◽भटक रही है मोहब्बत* भी उम्मतों की तरह।।
🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹
◽मता तो लुटी* ये दिल भी कहीं।
◽न डूब जाए गरीबों* की उजरतों की तरह।।
◽खुदा करे कि उमीदों* के हाथ पीले हों।
◽अभी तलक तो गुज़ारी है इद्दतों* की तरह।
🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹
◽यहीं पे दफ़्न हैं मासूम* चाहतें ‘'राना’'।
◽हमारा दिल भी है बच्चों* की तुरबतों की तरह।।



Post a Comment

और नया पुराने