नमस्कार दोस्तों,
आज इस पोस्ट के माध्यम से हम आपके लिए लेकर आए है, दो लाइन वाली बहुत ही शानदार शायरी जिसको पढ़ के से आप बेहद आनंद महसूस करेंगे।
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बरसों से कायम HY _ISHQ अपने उसूलों पर//
ये कल भी तकलीफ देता था ये आज भी तकलीफ देता HY//
©️बदनाम_लेखनी
उन्होंने वक़्त समझकर गुज़ार दिया हमको..//
और हम.. उनको ज़िन्दगी समझकर आज भी जी रहे HYं..//
©️बदनाम_लेखनी
प्यार हमेशा से ही खूबसूरत रहा HY //
दाग तो उसमें ख्वाइशें लगाती HYं//
©️बदनाम_लेखनी
झुका ली उन्होंने नज़रे जब मेरा नाम आया //
इश्क़ मेरा नाकाम ही सही पर कही तो काम आया//
©️बदनाम_लेखनी
सुना HY तुम्हारी एक निगाह से कत्ल होते HYं लोग..//
एक नज़र हमको भी देख लो.. ज़िन्दगी अच्छी नहीं लगती..//
©️बदनाम_लेखनी
प्यार की भाषा उस शख्स को कैसे समझाऊँ//
नफरत की आग लगी HY उसके सीने में//
इन आँसूओ से कैसे बुझाऊँ//
©️बदनाम_लेखनी
बंद कर दिए HYं हमने तो दरवाजे इश्क के//
पर कमबख़्त तेरी यादें तो दरारों से ही चली आई..//
©️बदनाम_लेखनी
WO❤️ इतना रोई मेरी मौत पर मुझे जगाने के लिए..//
मैं मरता ही क्यूँ अगर WO❤️ थोडा रो देती मुझे पाने के लिए..//
©️बदनाम_लेखनी
एक बार कह कर तो देखा होता कि तुम किसी और के भी हो//
भगवान् की कसम तेरी परछाई से भी दूर रहते//
©️बदनाम_लेखनी
मोहब्बत नही थी तो एक बार समझाया तो होता…//
बेचारा #DIL तुम्हारी #ख़ामोशी को इश्क़ समझ बैठा..//
©️बदनाम_लेखनी
बड रहा HY -DARD गम उस को भूला देने के बाद//
याद उसकी ओर आई खत जला देने के बाद!
©️बदनाम_लेखनी
बड़ी बरकत HY तेरे इश्क़ में जब से हुआ HY //
और कोई दूसरा -DARD ही नहीं होता //
©️बदनाम_लेखनी
खतम हो गई कहानी// बस कुछ अलफाज बाकी HYं//
एक अधूरे इश्क की एक मुकम्मल सी याद बाकी HY।
©️बदनाम_लेखनी
निगाहों से भी चोट लगती HY.. जनाब..//
जब कोई देख कर भी अन्देखा कर देता HY..//
©️बदनाम_लेखनी
कभी कभी #DIL चाहता HY //
कि #DIL अब कुछ भी ना चाहे //
©️बदनाम_लेखनी
इश्क में// मैं खुद को बेकसूर कहती थी पहले//
भूल जाती हूँ कि इस #DIL की भी तो शरारत थी कुछ//
©️बदनाम_लेखनी
WO❤️ दुआएं काश मैने दीवारों से मांगी होती//
ऐ खुदा.. सुना HY कि उनके तो कान होते HY//
©️बदनाम_लेखनी
दिन छोटे और रातें लम्बी हो गई HY //
मौसम ने यादों का वक़्त बड़ा दिया HY।
©️बदनाम_लेखनी
जाने कब उतरेगा क़र्ज़ उसकी मोहब्बत का .//
हर रोज आँसुओं से इश्क की किस्त भरते HYँ//
©️बदनाम_लेखनी
इश्क HY या इबादत.. अब कुछ समझ नहीं आता//
एक खुबसूरत ख्याल हो तुम जो #DIL से नहीं जाता//
©️बदनाम_लेखनी
महफूज़ HYं तेरे प्यार के नगमे इस #DIL में //
जब मन करे तो दरवाज़ा खटखटा देना//
©️बदनाम_लेखनी
WO❤️ कहते HY भूल जाओ पुरानी बातों को//
कोई उसे समझाये कि _ISHQ कभी पुराना नहीं होता..//
©️बदनाम_लेखनी
कहीं फिसल न जाऊं तेरे ख्यालों में चलते चलते//
अपनी यादों को रोको मेरे शहर में बारिश हो रही HY //
©️बदनाम_लेखनी
तुझको मेरी न मुझको तेरी//खबर आएगी…//
ये ज़िन्दगी अब यूँही// दबे पाँव गुज़र जाएगी….//
©️बदनाम_लेखनी
इश्क़ HY तो शक कैसा//
अगर नहीं HY तो फिर हक कैसा..//
©️बदनाम_लेखनी
फ़िक्र तो तेरी आज भी HY..//
बस .. जिक्र का हक नही रहा//
©️बदनाम_लेखनी
हमें तो प्यार के दो लफ़्हज़ भी ना नसीब हुए..//
और बदनाम ऐसे हुए जैसे _ISHQ के बादशाह थे हम //
©️बदनाम_लेखनी
ऐ इश्क मुझे अब और जख्म चाहिये…//
मेरी शायरी मे अब WO❤️ बात नही रही…//
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तुमसे ऐसा भी क्या रिश्ता हे//
-DARD कोई भी हो.. याद तेरी ही आती हे।
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नही HY शिकवा हमे किसी की बेरुखी से…..//
शायद हमे ही नही आता किसी के #DIL में घर बनाना…//
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खूबसूरत मैं नहीं ये तुम्हारा इश्क़ HY…//
जो नूर बनकर मेरी आँखों से छलकता HY….//
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एम्बुलेंस सा हो गया HY ये जिस्म//
सारा दिन घायल #DIL को लिये फिरता HY//
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किसी को न पाने से ज़िंदगी खत्म नहीं हो जाती//
पर किसी को पाकर खो देने के बाद कुछ बाकी भी नहीं बचता//
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इश्क कर लीजिए बेइंतेहा किताबो से..//
एक यही ऐसी चीज़ HY जो अपनी बातों से पलटा नही करती//
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ताला लगा दिया #DIL कोअब तेरे बिन किसी का अरमान नहीं..//
बंद होकर फिर खुल जाए// ये कोई दुकान नहीं//
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उसने दरिया में डाल दी होगी//
मेरी मोहब्बत भी.... एक नेकी थी//
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प्यार था _मोहब्बत थी _इश्क़ था _अदा थी //
सब कुछ था उस हसीन मैं //
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जुनून_हौसला_ और पागलपन आज भी वही HY//
मैंने जीने का तरीका बदला HY तेवर नहीं..//
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तेरे ना होने से बस इतनी सी कमी रहती HY//
मै लाख मुस्कुराउ आखो मे नमी सी रहती HY.//
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आधे से कुछ ज्यादा HY// पूरे से कुछ कम… //
कुछ जिंदगी… कुछ गम कुछ इश्क… कुछ हम…//
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पहले रिम-झिम फिर बरसात और अचानक कडी धूप//
मोहब्बत ओर अगस्त की फितरत एक सी HY..//
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ख्वाब हमारे टूटे तो हालात कुछ ऐसी थी//
आँखे पल पल रोती 😭 थीं //किस्मत हँसती रहती थी//
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WO❤️ कहता HY की बता तेरा -DARD कैसे समझू ..//
मैंने कहा की _ISHQ कर और कर के हार जा …//
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किस मुँह से इल्ज़ाम लगाएं बारिश की बौछारों पर//
हमने ख़ुद तस्वीर बनाई थी मिट्टी की दीवारों पर //
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एक पुराना मोसम लोटा////याद भरी पुरवायी भी//
ऐसा तो कम ही होता HY////WO❤️ भी हो तन्हाई भी//
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इश्क ने कब इजाजत ली HY आशिक़ों से//
WO❤️ होता HY// और होकर ही रहता HY……//
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बारिश और महोबत दोनों ही यादगार होते हे//
बारिश में जिस्म भीगता HYं और मोहब्बत मैं आँखे.//
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रास्ते वही होंगे और नज़ारे वही होंगे//
पर हमसफ़र अब हम तुम्हारे नहीं होंगे//
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चाहने की वजह कुछ भी नहीं बस इश्क//
की फितरत HY बे- वजह होना… . //
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कल क्या खूब _ISHQ से मैने बदला लिया//
कागज़ पर लिखा _ISHQ और उसे ज़ला दिया..//
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WO❤️ जो तुमसे रुबरु करवाता HY//
आजकल WO❤️ आइना भी हमसे रूठा HY//
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रहना यूं तेरे खयालों मे.. ये मेरी आदत HY//
कोई कहता इश्क … कोई कहता इबादत HY//
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हाल तो पूछ लू तेरा पर डरता हूँ आवाज़ से तेरी//
ज़ब ज़ब सुनी HY कमबख्त मोहब्बत ही हुई HY//
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रिहाई दे दो हमें अपनी मोहब्बत की कफस से//
कि अब ये -DARD 💔हमसे और सहा नहीं जाता//
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इश्क़ तो साहब यूं ही मुफ़्त में बदनाम HY//
हुस्न खुद बे-ताब रहता HY जलवा दिखाने के लिए //
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हाल तो पूछ लू तेरा पर डरता हूँ आवाज़ से तेरी//
ज़ब ज़ब सुनी HY कमबख्त मोहब्बत ही हुई HY//
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कमाल का जिगर रखते HY कुछ लोग//
-DARD 💔पढ़ते HY और आह तक नहीं करते//
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ऐ इश्क तेरा वकील बनके बुरा किया मैंने//
यहां हर शायर तेरे खिलाफ सबूत लिए बैठा HY//
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रुकी-रुकी सी लग रही HY नब्ज-ए-हयात//
ये कौन उठ के गया HY मेरे सिरहाने से//
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मैं रोज़ लफ़्ज़ों में बयान करता हूँ अपना -DARD//
और सब लोग सिर्फ़ वाह वाह कह कर चले जाते HY//
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मेरी आँखों में मत ढूंढा करो खुद को//
पता HY ना.. #DIL में रहते हो खुदा की तरह//
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