Teacher's day kavita , Poetry by Harish Tiwari, best teacher's day poem

Teacher's day poem , Poetry by Harish Tiwari
       



      शिक्षक दिवस
शायद कुछ न मैं कह पाऊंगा
बस आपको देख मैं रह जाऊंगा
कोई अबोध बालक सा मैं
कैसे अब कुछ कह पाऊंगा मैं



स्थिरता है सागर जैसी, उन्माद भरा बादल सा है
बंधुता भरत सी दिखती है, दिखता  संयम प्रहलाद सा है
कलम नही चल सकती है शब्दो का अब आभाव सा है
जो कुछ भी लिख पाया हूँ, ये आपका ही प्रभाव सा है



एहसान आपका , जो चलना सीखा दिया
आभार आपका , जो लिखना सीखा दिया
वंदन है आपको ,  जो बढ़ना सीखा दिया
है धन्य आप गुरुवर, जो उड़ना सीखा दिया
               ✍️✍️ Tiwariharish


    दर्पण है आप मेरे रोज देखता रहूँ


सजना सिखाया आपने,  सवरना सिखाया आपने
मुश्किल से भरी दुनिया मे , चलना सिखाया आपने
हमको निखारा आपने, उत्तम बनाया आपने
संभव परिस्थिति में , अड़ना सिखाया आपने


अनजान खुद से थे हम, परिचित कराया आपने
इस डूबते पत्थर को, तैरना सिखाया आपने

भूलूँगा कैसे मैं अहसान आपका 
हर वक़्त पाऊं मैं वरदान आपका


हो मेरे प्रति हरदम रूझान आपका
करता रहूं मैं ऐसे सम्मान आपका

दर्पण है आप मेरे , रोज देखता रहूं
चरणों मे रोज आपके , सिर टेकता रहूं


गुरुदेव आप मेरे, मैं आपका रहू
चरणों मे रोज आपके , सिर टेकता रहूं

अनमोल ज्ञान आपका अनमोल आप भी 
इतनी बड़ी दुनिया मे बेमोल आप ही


देते है ज्ञान सबको हमको भी दीजिये
एहसान उम्र भर का हमपे भी कीजिये
गुरु द्रोण सी है शक्ति  अर्जुन बनाइये
कौटिल्य सा अब बनके हर नीति सिखाइये





शायरी
दीवाने हम नही केवल सारी दुनिया दीवानी है
मैं तो कहता हूं तू कोई जन्नत की निशानी है
छोटे अल्फाज़ पड़ जाते ऐसे तेरी जवानी है
पढूं कैसे तुंझे मैं अब तू एक आधी कहानी है
       ✍️✍️कवि हरिश तिवारी(बदनाम लेखनी)


और नया पुराने