प्यार जब जिस्म की चीखों में दफ़न हो जाये / कुमार विश्वास



प्यार जब जिस्म की #चीखों में दफ़न हो जाए!
ओढ़नी इस तरह उलझे कि #कफ़न हो जाए!!

घर के एहसास जब बाजार की #शर्तो में ढले!
अजनबी लोग जब #हमराह बन के साथ चले!!

लबों से #आसमां तक सबकी दुआ चुक जाए!
भीड़ का शोर जब #कानो के पास रुक जाए!!

सितम की #मारी हुई वक्त की इन आँखों में!
नमी हो लाख मगर फिर भी #मुस्कुराएंगे!!

अँधेरे वक्त में भी गीत #गाये जायेंगे.::..!
लोग कहते रहें इस #रात की सुबह ही नहीं!!

कह दे सूरज कि #रौशनी का तजुर्बा ही नहीं!
वो लड़ाई को भले आर_पार ले जाएँ!!

#लोहा ले जाएँ वो लोहे की धार ले जाएँ!
जिसकी चौखट से #तराजू तक हो उन पर गिरवी!!

उस #अदालत में हमें बार बार ले जाएँ!
हम अगर #गुनगुना भी देंगे तो वो सब के सब!!

हम को #कागज पे हरा के भी हार जायेंगे!
अँधेरे वक्त में भी गीत-गाए जायेंगे...:::!!

Post a Comment

और नया पुराने