Hontho par ganga ho, hatho me tirnga ho /होंठो पर गंगा हो, हाथो में तिरंगा हो - dr Kumar Vishwas

नमस्कार दोस्तों, आप इस समय बदनाम लेखनी के पेज पर है, और इस पोस्ट में हम आपके लिए लेकर आए है , कुमार विश्वास जी की बहुत ही चर्चित कविता "होंठो पे गंगा हो , हाथो में। तिरंगा हो।।



दौलत ना-अता करना° मौला !
शोहरत ना-अता करना मौला !!
बस इतना-अता करना चाहे !
जन्नत ना-अता करना मौला !!

शम्मा_ए_वतन की लौ पर !
जब कुर्बान* पतंगा हो !!
होठों पर "गंगा" हो !
हाथों में "तिरंगा" हो !!

होठों पर "गंगा" हो, हाथों में "तिरंगा" हो ।।।।


बस एक सदा ही सुनें सदा !
बर्फ़ीली मस्त हवाओं में !!
बस एक दुआ ही° उठे सदा !
जलते-तपते सेहराओं में !!

जीते-जी इसका मान रखें !
मर कर मर्यादा` याद रहे !!
हम रहें कभी ना रहें मगर !
इसकी सज_धज आबाद रहे !!

जन-मन में उच्छल !
 देश प्रेम का जलधि तरंगा हो !!
होठों पर "गंगा" हो !
हाथों में "तिरंगा" हो !!

होठों पर "गंगा" हो, हाथों में "तिरंगा" हो ।।।।


"गीता" का ज्ञान सुने ना सुनें !
 इस "धरती" का यशगान सुनें !!
हम सबद-कीर्तन सुन ना सकें !
 भारत मां का जयगान सुनें !!

परवरदिगार,मैं तेरे द्वार !
पर ले पुकार ये आया हूं !!
चाहे अज़ान ना सुनें कान !
पर जय-जय #हिन्दुस्तान सुनें !!

जन-मन में उच्छल !
देश प्रेम का जलधि तरंगा हो !!
होठों पर "गंगा" हो !
 हाथों में "तिरंगा" हो !!

होठों पर "गंगा" हो, हाथों में "तिरंगा" हो ।।।।

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