आना तुम मेरे घर, अधरो पर हास लिए !
तन मन की धरती पर, झर झर झर झर झरना !
सांसों में प्रस्नो का आकुल आकाश लिए !
तुमको पथ में कुछ मर्यादाएं रोंकेंगी!
जानी अनजानी सौ बाधाए रोकेगी!
लेकिन तुम चंदन सी सुरभित कस्तूरी सी!
पवास की रिमझिम सी मादक मजबूरी सी!
सारी बाधाए तज, बल खाती नदिया बन!
मेरे तट आना, एक भिगा उल्लास लिए!
आना तुम मेरे घर, अधरों पर हास लिए!
जब तुम आओगी, घर आंगन नाचेगा!
अनुबंधित तन होगा, लेकिन मन नाचेगा!
मा की अशिशो सी, भाभी की बिंदिया सी!
बापू के चरणों सी, बहना की निंदिया सी!
कोमल कोमल, स्यामल स्यामल अरुणिम अरुणिम!
पायल की ध्वनियों में गुंजित मधुमास लिए!
आना तुम घर आधरो पर हास लिए!
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