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उठो, जागो और तब तक नहीं रुको . 
जब तक लक्ष्य ना प्राप्त हो जाये.


उठो मेरे शेरो, इस भ्रम को मिटा दो कि तुम निर्बल हो, 
तुम एक अमर आत्मा हो, स्वच्छंद जीव हो, 
धन्य हो, सनातन हो, तुम तत्व नहीं हो, 
ना ही शरीर हो, तत्व तुम्हारा सेवक है , 
तुम तत्व के सेवक नहीं हो//., 


ब्रह्माण्ड कि सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं//. 
वो हमीं हैं जो अपनी आँखों पर हाँथ रख लेते हैं , 
और फिर रोते हैं कि कितना अन्धकार है!


जिस तरह से विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न 
धाराएँ अपना जल समुद्र में मिला देती हैं,
उसी प्रकार मनुष्य द्वारा चुना हर मार्ग, 
चाहे अच्छा हो या बुरा भगवान तक जाता है//.


किसी की निंदा ना करें. 
अगर आप मदद के लिए हाथ बढ़ा सकते हैं, 
तो ज़रुर बढाएं.अगर नहीं बढ़ा सकते, 
तो अपने हाथ जोड़िये, अपने भाइयों को आशीर्वाद दीजिये, और उन्हें उनके मार्ग पे जाने दीजिये//.


कभी मत सोचिये कि आत्मा के लिए कुछ असंभव है. 
ऐसा सोचना सबसे बड़ा विधर्म है.अगर कोई पाप है, 
तो वो यही है; 
ये कहना कि तुम निर्बल हो या अन्य निर्बल हैं.

अगर धन दूसरों की भलाई करने में मदद करे, 
तो इसका कुछ मूल्य है, 
अन्यथा, ये सिर्फ बुराई का एक ढेर है, 
और इससे जितना जल्दी छुटकारा मिल जाये उतना बेहतर है.

जिस समय जिस काम के लिए प्रतिज्ञा करो, 
ठीक उसी समय पर उसे करना ही चाहिये, 
नहीं तो लोगो का विश्वास उठ जाता है//.


उस व्यक्ति ने अमरत्त्व प्राप्त कर लिया है, 
जो किसी सांसारिक वस्तु से व्याकुल नहीं होता//.


हम वो हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है, 
इसलिए इस बात का धयान रखिये कि आप क्या सोचते हैं//. शब्द गौण हैं. विचार रहते हैं, वे दूर तक यात्रा करते हैं//.


जब तक आप खुद पे विश्वास नहीं करते , 
तब तक आप भागवान पे विश्वास नहीं कर सकते//.


सत्य को हज़ार तरीकों से बताया जा सकता है, 
फिर भी हर एक सत्य ही होगा//.

विश्व एक व्यायामशाला है , 
जहाँ हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं//.


जिस दिन आपके सामने कोई समस्या न आये – 
आप यकीन कर सकते है , 
की आप गलत रस्ते पर सफर कर रहे है//.

यह जीवन अल्पकालीन है, 
संसार की विलासिता क्षणिक है, 
लेकिन जो दुसरो के लिए जीते है, 
वे वास्तव में जीते है//.

एक शब्द में, 
यह आदर्श है कि तुम परमात्मा हो//.

भगवान् की एक परम प्रिय के रूप में पूजा की जानी चाहिए, 
इस या अगले जीवन की सभी चीजों से बढ़कर//.

यदि स्वयं में विश्वास करना और अधिक विस्तार से पढाया और अभ्यास कराया गया होता, 
तो मुझे यकीन है कि बुराइयों और दुःख का एक बहुत बड़ा हिस्सा गायब हो गया होता//.

हम जितना ज्यादा बाहर जायें और दूसरों का भला करें, हमारा ह्रदय उतना ही शुद्ध होगा, 
और परमात्मा उसमे बसेंगे//.



वेदान्त कोई पाप नहीं जानता, 
वो केवल त्रुटी जानता है//. 
और वेदान्त कहता है कि सबसे बड़ी त्रुटी यह कहना है, 
कि तुम कमजोर हो, तुम पापी हो, एक तुच्छ प्राणी हो, 
और तुम्हारे पास कोई शक्ति नहीं है,
और तुम ये वो नहीं कर सकते//.



जब कोई विचार अनन्य रूप से मस्तिष्क पर अधिकार कर लेता है,
तब वह वास्तविक भौतिक या मानसिक अवस्था में परिवर्तित हो जाता है//.



भला हम भगवान को खोजने कहाँ जा सकते हैं,
अगर उसे अपने ह्रदय और हर एक जीवित प्राणी में नहीं देख सकते//.



तुम्हे अन्दर से बाहर की तरफ विकसित होना है//. 
कोई तुम्हे पढ़ा नहीं सकता, 
कोई तुम्हे आध्यात्मिक नहीं बना सकता. 
तुम्हारी आत्मा के आलावा कोई और गुरु नहीं है//.



पहले हर अच्छी बात का मज़ाक बनता है, 
फिर उसका विरोध होता है, 
और फिर उसे स्वीकार कर लिया जाता है//.



दिल और दिमाग के टकराव में दिल की सुनो//.




किसी दिन, 
जब आपके सामने कोई समस्या ना आये – 
आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि आप गलत मार्ग पर चल रहे हैं//.




स्वतंत्र होने का साहस करो//. 
जहाँ तक तुम्हारे विचार जाते हैं,
वहां तक जाने का साहस करो, 
और उन्हें अपने जीवन में उतारने का साहस करो//.




किसी चीज से डरो मत//. तुम अद्भुत काम करोगे//. 
यह निर्भयता ही है जो क्षण भर में परम आनंद लाती है//.




प्रेम विस्तार है, स्वार्थ संकुचन है//. 
इसलिए प्रेम जीवन का सिद्धांत है//. 
वह जो प्रेम करता है जीता है, 
वह जो स्वार्थी है मर रहा है//. 
इसलिए प्रेम के लिए प्रेम करो, 
क्योंकि जीने का यही एक मात्र सिद्धांत है, 
वैसे ही जैसे कि तुम जीने के लिए सांस लेते हो//.




सबसे बड़ा धर्म है अपने स्वभाव के प्रति सच्चे होना//. 
स्वयं पर विश्वास करो//.



सच्ची सफलता और आनंद का सबसे बड़ा रहस्य यह है : वह पुरुष या स्त्री जो बदले में कुछ नहीं मांगता, 
पूर्ण रूप से निस्स्वार्थ व्यक्ति, सबसे सफल है//.



जो अग्नि हमें गर्मी देती है, हमें नष्ट भी कर सकती है; 
यह अग्नि का दोष नहीं है//.



बस वही जीते हैं,जो दूसरों के लिए जीते हैं//.



शक्ति जीवन है, निर्बलता मृत्यु है. विस्तार जीवन है, 
संकुचन मृत्यु है. प्रेम जीवन है, द्वेष मृत्यु है//.



हम जो बोते हैं वो काटते हैं//. 
हम स्वयं अपने भाग्य के विधाता हैं//. 
हवा बह रही है; वो जहाज जिनके पाल खुले हैं, 
इससे टकराते हैं, और अपनी दिशा में आगे बढ़ते हैं, 
पर जिनके पाल बंधे हैं हवा को नहीं पकड़ पाते//. 
क्या यह हवा की गलती है?…..
हम खुद अपना भाग्य बनाते हैं//.



शारीरिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक रूप से जो कुछ भी आपको कमजोर बनाता है –,
 उसे ज़हर की तरह त्याग दो//.



एक समय में एक काम करो, और ऐसा करते समय अपनी
 पूरी आत्मा उसमे डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ//.




कुछ मत पूछो, बदले में कुछ मत मांगो,जो देना है वो दो; 
वो तुम तक वापस आएगा, पर उसके बारे में अभी मत सोचो//.



जो तुम सोचते हो वो हो जाओगे//. 
यदि तुम खुद को कमजोर सोचते हो, 
तुम कमजोर हो जाओगे; 
अगर खुद को ताकतवर सोचते हो, तुम ताकतवर हो जाओगे//.



मस्तिष्क की शक्तियां सूर्य की किरणों के समान हैं//. 
जब वो केन्द्रित होती हैं; चमक उठती हैं//.




कांक्षा, अज्ञानता, और असमानता – 
यह बंधन की त्रिमूर्तियां हैं//.



यह भगवान से प्रेम का बंधन वास्तव में ऐसा है,
जो आत्मा को बांधता नहीं है बल्कि प्रभावी ढंग से उसके सारे बंधन तोड़ देता है//.



कुछ सच्चे, इमानदार और उर्जावान पुरुष और महिलाएं; जितना कोई भीड़ एक सदी में कर सकती है उससे अधिक एक वर्ष में कर सकते हैं//.



जब लोग तुम्हे गाली दें तो तुम उन्हें आशीर्वाद दो//. 
सोचो, तुम्हारे झूठे दंभ को बाहर निकालकर वो तुम्हारी कितनी मदद कर रहे हैं//.



धन्य हैं वो लोग जिनके शरीर दूसरों की सेवा करने में नष्ट हो जाते हैं//.


श्री रामकृष्ण कहा करते थे,” जब तक मैं जीवित हूँ, तब तक मैं सीखता हूँ ”. वह व्यक्ति या वह समाज जिसके पास सीखने को कुछ नहीं है वह पहले से ही मौत के जबड़े में है//.




जीवन का रहस्य केवल आनंद नहीं है 
बल्कि अनुभव के माध्यम से सीखना है//.



कामनाएं समुद्र की भांति अतृप्त है, 
पूर्ति का प्रयास करने पर उनका कोलाहल और बढ़ता है//.



स्त्रियो की स्थिति में सुधार न होने तक विश्व के कल्याण का कोई भी मार्ग नहीं है//.



आज्ञा देने की क्षमता प्राप्त करने से पहले 
प्रत्येक व्यक्ति को आज्ञा का पालन करना सीखना चाहिए//.



हम भले ही पुराने सड़े घाव को स्वर्ण से ढक कर रखने की चेष्टा करे, 
एक दिन ऐसा आएगा जब वह स्वर्ण वस्त्र खिसक जायेगा और वह घाव अत्यंत वीभत्स रूप में आँखों के सामने प्रकट हो जायेगा//.




  वेदान्त  कोई  पाप  नहीं  जानता,  
वो  केवल  त्रुटी  जानता  है//.  
और  वेदान्त  कहता  है  कि  सबसे  बड़ी  त्रुटी  यह  कहना  है,  
कि  तुम  कमजोर  हो,  तुम  पापी  हो,  एक  तुच्छ  प्राणी  हो,  
और  तुम्हारे  पास  कोई  शक्ति  नहीं  है,
और  तुम  ये  वो  नहीं  कर  सकते//.



जब  कोई  विचार  अनन्य  रूप  से  मस्तिष्क  पर  अधिकार  कर  लेता  है,
तब  वह  वास्तविक  भौतिक  या  मानसिक  अवस्था  में  परिवर्तित  हो  जाता  है//.



भला  हम  भगवान  को  खोजने  कहाँ  जा  सकते  हैं,
अगर  उसे  अपने  ह्रदय  और  हर  एक  जीवित  प्राणी  में  नहीं  देख  सकते//.



तुम्हे  अन्दर  से  बाहर  की  तरफ  विकसित  होना  है//.  
कोई  तुम्हे  पढ़ा  नहीं  सकता,  
कोई  तुम्हे  आध्यात्मिक  नहीं  बना  सकता.  
तुम्हारी  आत्मा  के  आलावा  कोई  और  गुरु  नहीं  है//.




पहले  हर  अच्छी  बात  का  मज़ाक  बनता  है,  
फिर  उसका  विरोध  होता  है,  
और  फिर  उसे  स्वीकार  कर  लिया  जाता  है//.



दिल  और  दिमाग  के  टकराव  में  दिल  की  सुनो//.




किसी  दिन,  
जब  आपके  सामने  कोई  समस्या  ना  आये  –  
आप  सुनिश्चित  हो  सकते  हैं  कि  आप  गलत  मार्ग  पर  चल  रहे  हैं//.




स्वतंत्र  होने  का  साहस  करो//.  
जहाँ  तक  तुम्हारे  विचार  जाते  हैं,
वहां  तक  जाने  का  साहस  करो,  
और  उन्हें  अपने  जीवन  में  उतारने  का  साहस  करो//.




किसी  चीज  से  डरो  मत//.  तुम  अद्भुत  काम  करोगे//.  
यह  निर्भयता  ही  है  जो  क्षण  भर  में  परम  आनंद  लाती  है//.




प्रेम  विस्तार  है,  स्वार्थ  संकुचन  है//.  
इसलिए  प्रेम  जीवन  का  सिद्धांत  है//.  
वह  जो  प्रेम  करता  है  जीता  है,  
वह  जो  स्वार्थी  है  मर  रहा  है//.  
इसलिए  प्रेम  के  लिए  प्रेम  करो,  
क्योंकि  जीने  का  यही  एक  मात्र  सिद्धांत  है,  
वैसे  ही  जैसे  कि  तुम  जीने  के  लिए  सांस  लेते  हो//.




सबसे  बड़ा  धर्म  है  अपने  स्वभाव  के  प्रति  सच्चे  होना//.  
स्वयं  पर  विश्वास  करो//.




सच्ची  सफलता  और  आनंद  का  सबसे  बड़ा  रहस्य  यह  है  :  वह  पुरुष  या  स्त्री  जो  बदले  में  कुछ  नहीं  मांगता,  
पूर्ण  रूप  से  निस्स्वार्थ  व्यक्ति,  सबसे  सफल  है//.





जो  अग्नि  हमें  गर्मी  देती  है,  हमें  नष्ट  भी  कर  सकती  है;  
यह  अग्नि  का  दोष  नहीं  है//.




बस  वही  जीते  हैं,जो  दूसरों  के  लिए  जीते  हैं//.




शक्ति  जीवन  है,  निर्बलता  मृत्यु  है.  विस्तार  जीवन  है,  
संकुचन  मृत्यु  है.  प्रेम  जीवन  है,  द्वेष  मृत्यु  है//.




हम  जो  बोते  हैं  वो  काटते  हैं//.  
हम  स्वयं  अपने  भाग्य  के  विधाता  हैं//.  
हवा  बह  रही  है;  वो  जहाज  जिनके  पाल  खुले  हैं,  
इससे  टकराते  हैं,  और  अपनी  दिशा  में  आगे  बढ़ते  हैं,  
पर  जिनके  पाल  बंधे  हैं  हवा  को  नहीं  पकड़  पाते//.  
क्या  यह  हवा  की  गलती  है?…..
हम  खुद  अपना  भाग्य  बनाते  हैं//.




शारीरिक,  बौद्धिक  और  आध्यात्मिक  रूप  से  जो  कुछ  भी  आपको  कमजोर  बनाता  है  –,
  उसे  ज़हर  की  तरह  त्याग  दो//.




एक  समय  में  एक  काम  करो,  और  ऐसा  करते  समय  अपनी
  पूरी  आत्मा  उसमे  डाल  दो  और  बाकी  सब  कुछ  भूल  जाओ//.




कुछ  मत  पूछो,  बदले  में  कुछ  मत  मांगो,जो  देना  है  वो  दो;  
वो  तुम  तक  वापस  आएगा,  पर  उसके  बारे  में  अभी  मत  सोचो//.



जो  तुम  सोचते  हो  वो  हो  जाओगे//.  
यदि  तुम  खुद  को  कमजोर  सोचते  हो,  
तुम  कमजोर  हो  जाओगे;  
अगर  खुद  को  ताकतवर  सोचते  हो,  तुम  ताकतवर  हो  जाओगे//.



मस्तिष्क  की  शक्तियां  सूर्य  की  किरणों  के  समान  हैं//.  
जब  वो  केन्द्रित  होती  हैं;  चमक  उठती  हैं//.





कांक्षा,  अज्ञानता,  और  असमानता  –  
यह  बंधन  की  त्रिमूर्तियां  हैं//.




यह  भगवान  से  प्रेम  का  बंधन  वास्तव  में  ऐसा  है,
जो  आत्मा  को  बांधता  नहीं  है  बल्कि  प्रभावी  ढंग  से  उसके  सारे  बंधन  तोड़  देता  है//.




कुछ  सच्चे,  इमानदार  और  उर्जावान  पुरुष  और  महिलाएं;  जितना  कोई  भीड़  एक  सदी  में  कर  सकती  है  उससे  अधिक  एक  वर्ष  में  कर  सकते  हैं//.



जब  लोग  तुम्हे  गाली  दें  तो  तुम  उन्हें  आशीर्वाद  दो//.  
सोचो,  तुम्हारे  झूठे  दंभ  को  बाहर  निकालकर  वो  तुम्हारी  कितनी  मदद  कर  रहे  हैं//.




धन्य  हैं  वो  लोग  जिनके  शरीर  दूसरों  की  सेवा  करने  में  नष्ट  हो  जाते  हैं//.



श्री  रामकृष्ण  कहा  करते  थे,”  जब  तक  मैं  जीवित  हूँ,  तब  तक  मैं  सीखता  हूँ  ”.  वह  व्यक्ति  या  वह  समाज  जिसके  पास  सीखने  को  कुछ  नहीं  है  वह  पहले  से  ही  मौत  के  जबड़े  में  है//.




जीवन  का  रहस्य  केवल  आनंद  नहीं  है  
बल्कि  अनुभव  के  माध्यम  से  सीखना  है//.



कामनाएं  समुद्र  की  भांति  अतृप्त  है,  
पूर्ति  का  प्रयास  करने  पर  उनका  कोलाहल  और  बढ़ता  है//.


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आज्ञा  देने  की  क्षमता  प्राप्त  करने  से  पहले  
प्रत्येक  व्यक्ति  को  आज्ञा  का  पालन  करना  सीखना  चाहिए//.




हम  भले  ही  पुराने  सड़े  घाव  को  स्वर्ण  से  ढक  कर  रखने  की  चेष्टा  करे,  
एक  दिन  ऐसा  आएगा  जब  वह  स्वर्ण  वस्त्र  खिसक  जायेगा  और  वह  घाव  अत्यंत  वीभत्स  रूप  में  आँखों  के  सामने  प्रकट  हो  जायेगा//.

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