Ek Pagli Ladki Ke Bin, Amawas ki kali rat kavita, poetry by poet kumar vishwas, badnamlekhni

नमस्कार दोस्तों,
आज इस पोस्ट में मै आपके लिए लेकर आया हूं, DR. Kumar Vishwas Ji की एक बहुत ही सुंदर रचना जिसका शीर्षक है अमावस की काली रात में ,
पगली लडकी के बिन।

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अमावस  की काली  रातों  में दिल  का दरवाजा  खुलता  है!
जब  दर्द  की काली  रातों  में  गम आंसू  के  संग  घुलता  है!
जब  पिछवाड़े  के  कमरे  में  हम  निपट  अकेले  होते  हैं!
जब घड़ियाँ टिक-टिक  चलती  हैं,सब सोते  हैं, हम  रोते  हैं!

Kumar vishwas

जब  बार-बार  दोहराने  से  सारी  यादें  चुक  जाती  हैं!
जब ऊँच-नीच  समझाने  में माथे  की  नस  दुःख  जाती  है!
तब  एक Pagli  लड़की  के  बिन  जीना  गद्दारी  लगता  है!
और उस Pagli  लड़की  के  बिन मरना भी भारी  लगता है!


जब  पोथे  खाली  होते  है,  जब  हर्फ़  सवाली  होते  हैं!
जब  गज़लें  रास  नही  आती,  अफ़साने  गाली  होते  हैं!
जब  बासी  फीकी  धूप  समेटे  दिन  जल्दी  ढल  जता  है!
जब सूरज  का लश्कर  छत  से गलियों  में देर  से  जाता  है!

Kumar vishwas

जब  जल्दी  घर जाने  की इच्छा  मन  ही मन  घुट  जाती है!
जब कालेज  से  घर  लाने  वाली पहली  बस  छुट  जाती है!
जब  बेमन  से  खाना  खाने  पर  माँ  गुस्सा  हो  जाती  है!
जब  लाख  मन  करने  पर  भी  पारो  पढ़ने  आ  जाती  है!


जब  अपना हर  मनचाहा  काम  कोई  लाचारी  लगता  है!
तब  एक Pagli  लड़की  के  बिन  जीना  गद्दारी  लगता  है!
और उस Pagli  लड़की  के बिन मरना  भी भारी  लगता है!

जब  कमरे  में  सन्नाटे  की  आवाज़  सुनाई  देती  है!
जब  दर्पण  में  आंखों  के  नीचे  झाई  दिखाई  देती  है!
जब बड़की#भाभी कहती  हैं,कुछ  सेहत का भी  ध्यान करो!!
क्या  लिखते हो  दिन भर कुछ  सपनों  का भी सम्मान  करो!


जब  बाबा  वाली  बैठक  में  कुछ  रिश्ते  वाले  आते  हैं!
जब  बाबा  हमें  बुलाते  है,हम  जाते  में  घबराते  हैं!
जब  साड़ी  पहने  एक  लड़की  का  फोटो  लाया  जाता  है!
जब  भाभी  हमें  मनाती  हैं,  फोटो  दिखलाया  जाता  है!
   

जब  सारे  घर  का  समझाना  हमको  फनकारी  लगता  है!
तब  एक Pagli  लड़की  के  बिन  जीना  गद्दारी  लगता  है!
और उस Pagli  लड़की  के बिन  मरना भी भारी  लगता है!


दीदी कहती  हैं  उस Pagli लडकी  की  कुछ औकात नहीं!
उसके  दिल  में  भैया  तेरे  जैसे  प्यारे  जज़्बात  नहीं!
वो  Pagli  लड़की  मेरी  खातिर  नौ  दिन  भूखी  रहती  है!
चुपचुप सारे व्रत  करती HY मगर मुझसे  कुछ ना कहती है!


जो Pagli  लडकी  कहती  है, मैं  प्यार  तुम्ही  से  करती हूँ!
लेकिन  मैं  हूँ  मजबूर  बहुत,  अम्मा-बाबा  से  डरती  हूँ!
उस Pagli  लड़की  पर अपना  कुछ भी अधिकार  नहीं बाबा!!
सब  कथा-कहानी-किस्से  हैं,  कुछ  भी  तो  सार  नहीं  बाबा!!


बस  उस Pagli  लडकी  के  संग  जीना  फुलवारी  लगता  है!!
और  उस Pagli  लड़की  के  बिन  मरना  भी  भारी  लगता  है!!





तो दोस्तो आपको ये कुमार विश्वास जी की रचना कैसी लगी मुझे कॉमेंट बॉक्स के माध्यम से जरूर बताए।
बदनाम लेखनी के इस पेज लिए पधारने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🙏🙏
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एक पगली लड़की के बिन / कुमार विश्वास,
एक पगली लड़की के बिन कविता,
अमावस की काली रात-kumar vishwas,
Amawas ki kali rat- kumar vishwas,

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