itni rang birangi duniya, इतनी रंग बिरंगी दुनिया कविता dr. Kumar vishwas poetry, बदनाम लेखनी


नमस्कार दोस्तों,
आज इस पोस्ट में मै आपके लिए लेकर आया हूं, DR. Kumar Vishwas Ji की एक बहुत ही सुंदर रचना जिसका शीर्षक है, itni rang birangi duniya,
इतनी रंग बिरंगी दुनिया
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इतनी रंग बिरंगी दुनिया , दो आँखों में कैसे आये!
हमसे पूछो इतने अनुभव , एक कंठ से कैसे गाये!!

ऐसे उजले लोग मिले जो , अंदर से बेहद काले थे!
ऐसे चतुर मिले जो मन से सहज सरल भोले-भाले थे!!

ऐसे धनी मिले जो , कंगालो से भी ज्यादा रीते थे!
ऐसे मिले फकीर , जो , सोने के घट में पानी पीते थे!!

मिले परायेपन से अपने , अपनेपन से मिले पराये!
हमसे पूछो इतने अनुभव , एक कंठ से कैसे गाये!!

इतनी रंग बिरंगी दुनिया  , दो आँखों में कैसे आये!!!

जिनको जगत-विजेता समझा , मन के द्वारे हारे निकले! 
जो हारे-हारे लगते थे  , अंदर से ध्रुव- तारे निकले!!

जिनको पतवारे सौंपी थी , वे भँवरो के सूदखोर थे! 
जिनको भँवर समझ डरता था ,आखिर वही किनारे निकले!

वो मंजिल तक क्या पहुंचे  , जिनको रास्ता खुद भटकाए!!!
हमसे पूछो इतने अनुभव  , एक कंठ से कैसे गाये! 

इतनी रंग बिरंगी दुनिया  , दो आँखों में कैसे आये!!




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तो दोस्तो आपको ये कुमार विश्वास जी की रचना कैसी लगी मुझे कॉमेंट बॉक्स के माध्यम से जरूर बताए।
बदनाम लेखनी के इस पेज लिए पधारने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🙏🙏
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कुमार विश्वास कविता,
इतनी रंग बिरंगी दुनिया -कुमार विश्वास
Itni rang birangi duniya- kumar vishwas,

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