नमस्कार दोस्तों,
आज इस पोस्ट में मै आपके लिए लेकर आया हूं, DR. Kumar Vishwas Ji की एक बहुत ही सुंदर रचना जिसका शीर्षक है,
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उनकी खैरो खबर नही मिलती -कुमार विश्वास कविता
उनकी ख़ैरो-ख़बर नहीं मिलती!!
हमको ही ख़ासकर नहीं मिलती!!
शायरी को नज़र नहीं मिलती!!
मुझको तू ही अगर नहीं मिलती!!
रूह में, दिल में, जिस्म में दुनिया!!
ढूंढता हूँ मगर नहीं मिलती!!
लोग कहते हैं रूह बिकती है!!
मैं जहाँ हूँ उधर नहीं मिलती!!
हमको ही ख़ासकर नहीं मिलती!!
शायरी को नज़र नहीं मिलती!!
मुझको तू ही अगर नहीं मिलती!!
रूह में, दिल में, जिस्म में दुनिया!!
ढूंढता हूँ मगर नहीं मिलती!!
लोग कहते हैं रूह बिकती है!!
मैं जहाँ हूँ उधर नहीं मिलती!!
रंग दुनिया ने दिखाया है निराला देखूँ - kumar vishwas poetry
रंग दुनिया ने दिखाया है निराला देखूँ!!
है अँधेरे में उजाला तो उजाला देखूँ!!
आइना रख दे मिरे सामने आख़िर मैं भी!!
कैसा लगता है तिरा चाहने वाला देखूँ!!
कल तलक वो जो मिरे सर की क़सम खाता था!!
आज सर उस ने मिरा कैसे उछाला देखूँ!!
मुझ से माज़ी मिरा कल रात सिमट कर बोला!!
किस तरह मैं ने यहाँ ख़ुद को सँभाला देखूँ!!
जिस के आँगन से खुले थे मिरे सारे रस्ते!!
उस हवेली पे भला कैसे मैं ताला देखूँ!!
है अँधेरे में उजाला तो उजाला देखूँ!!
आइना रख दे मिरे सामने आख़िर मैं भी!!
कैसा लगता है तिरा चाहने वाला देखूँ!!
कल तलक वो जो मिरे सर की क़सम खाता था!!
आज सर उस ने मिरा कैसे उछाला देखूँ!!
मुझ से माज़ी मिरा कल रात सिमट कर बोला!!
किस तरह मैं ने यहाँ ख़ुद को सँभाला देखूँ!!
जिस के आँगन से खुले थे मिरे सारे रस्ते!!
उस हवेली पे भला कैसे मैं ताला देखूँ!!
सब तमन्नाएँ हों पूरी कोई ख़्वाहिश भी रहे - kumar vishwas kavita
सब तमन्नाएँ हों पूरी कोई ख़्वाहिश भी रहे!!
चाहता वो है मोहब्बत में नुमाइश भी रहे!!
आसमाँ चूमे मिरे पँख तिरी रहमत से!!
और किसी पेड़ की डाली पे रिहाइश भी रहे!!
उस ने सौंपा नहीं मुझ को मिरे हिस्से का वजूद!!
उस की कोशिश है कि मुझ से मिरी रंजिश भी रहे!!
मुझ को मालूम है मेरा है वो मैं उस का हूँ!!
उस की चाहत है कि रस्मों की ये बंदिश भी रहे!!
मौसमों से रहें 'विश्वास' के ऐसे रिश्ते!!
कुछ अदावत भी रहे थोड़ी नवाज़िश भी रहे!!
चाहता वो है मोहब्बत में नुमाइश भी रहे!!
आसमाँ चूमे मिरे पँख तिरी रहमत से!!
और किसी पेड़ की डाली पे रिहाइश भी रहे!!
उस ने सौंपा नहीं मुझ को मिरे हिस्से का वजूद!!
उस की कोशिश है कि मुझ से मिरी रंजिश भी रहे!!
मुझ को मालूम है मेरा है वो मैं उस का हूँ!!
उस की चाहत है कि रस्मों की ये बंदिश भी रहे!!
मौसमों से रहें 'विश्वास' के ऐसे रिश्ते!!
कुछ अदावत भी रहे थोड़ी नवाज़िश भी रहे!!
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