नमस्कार दोस्तों,
आज इस पोस्ट में मै आपके लिए लेकर आया हूं, DR. Kumar Vishwas Ji की एक बहुत ही सुंदर रचना जिसका शीर्षक है,l
!! मधुयामिनी!!
क्या अजब रात थी, क्या गज़ब रात थी!!दंश सहते रहे, मुस्कुराते रहे!!
देह की उर्मियाँ बन गयी भागवत!!
हम समर्पण भरे अर्थ पाते रहे!!
मन मे अपराध की, एक शंका लिए!!
कुछ क्रियाये हमें जब हवन सी लगीं!!
एक दूजे की साँसों मैं घुलती हुई!!
बोलियाँ भी हमें, जब भजन सी लगीं!!
कोई भी बात हमने न की रात-भर!!
प्यार की धुन कोई गुनगुनाते रहे!!
देह की उर्मियाँ बन गयी भागवत!!
हम समर्पण भरे अर्थ पाते रहे!!
पूर्णिमा की अनघ चांदनी सा बदन!!
मेरे आगोश मे यूं पिघलता रहा!!
चूड़ियों से भरे हाथ लिपटे रहे!!
सुर्ख होठों से झरना सा झरता रहा!!
इक नशा सा अजब छा गया था की हम!!
खुद को खोते रहे तुमको पाते रहे!!
देह की उर्मियाँ बन गयी भागवत!!
हम समर्पण भरे अर्थ पाते रहे!!
आहटों से बहुत दूर पीपल तले!!
वेग के व्याकरण पायलों ने गढ़े!!
साम-गीतों की आरोह – अवरोह में!!
मौन के चुम्बनी- सूक्त हमने पढ़े!!
सौंपकर उन अंधेरों को सब प्रश्न हम!!
इक अनोखी दीवाली मनाते रहे!!
देह की उर्मियाँ बन गयी भागवत!!
हम समर्पण भरे अर्थ पाते रहे!!
✍kumar vishwas
!! ये वही पुरानी राहें हैं!!
चेहरे पर चँचल लट उलझी, आँखों में सपन सुहाने हैं!
ये वही पुरानी राहें हैं, ये दिन भी वही पुराने हैं!
ये वही पुरानी राहें हैं, ये दिन भी वही पुराने हैं!
कुछ तुम भूली कुछ मैं भूला मंज़िल फिर से आसान हुई!
हम मिले अचानक जैसे फिर पहली पहली पहचान हुई!
हम मिले अचानक जैसे फिर पहली पहली पहचान हुई!
आँखों ने पुनः पढी आँखें, न शिकवे हैं न ताने हैं!
चेहरे पर चँचल लट उलझी, आँखों में सपन सुहाने हैं!
तुमने शाने पर सिर रखकर,जब देखा फिर से एक बार!
जुड़ गया पुरानी वीणा का, जो टूट गया था एक तार!
जुड़ गया पुरानी वीणा का, जो टूट गया था एक तार!
फिर वही साज़ धडकन वाला फिर वही मिलन के गाने हैं!
चेहरे पर चँचल लट उलझी, आँखों मे सपन सुहाने हैं!
आओ हम दोनों की सांसों का एक वही आधार रहे!
सपने, उम्मीदें, प्यास मिटे, बस प्यार रहे बस प्यार रहे!
सपने, उम्मीदें, प्यास मिटे, बस प्यार रहे बस प्यार रहे!
बस प्यार अमर है दुनिया मे सब रिश्ते आने-जाने हैं!
चेहरे पर चँचल लट उलझी, आँखों मे सपन सुहाने हैं!
✍kumar vishwas
! ! लड़कियाँ !!
पल भर में जीवन महकायें,
पल भर में संसार जलायें, ,
कभी धूप हैं, कभी छाँव हैं,
बर्फ कभी अँगार,
लड़कियाँ जैसे पहला प्यार.!!!!!!!
बचपन के जाते ही इनकी,
गँध बसे तन-मन में,
एक कहानी लिख जाती हैं,
ये सबके जीवन में,
बचपन की ये विदा-निशानी,
यौवन का उपहार,
लड़कियाँ जैसे पहला प्यार.!!!!!!!
इनके निर्णय बड़े अजब हैं,
बड़ी अजब हैं बातें,
दिन की कीमत पर,,
गिरवी रख लेती हैं ये रातें,
हँसते-गाते कर जाती हैं,
आँसू का व्यापार,
लड़कियाँ जैसे पहला प्यार!!!!!!!!
जाने कैसे, कब कर बैठें,
जान-बूझकर भूलें,
किसे प्यास से व्याकुल कर दें,
किसे अधर से छू लें,
किसका जीवन मरूथल कर दें,
किसका मस्त बहार,
लड़कियाँ जैसे पहला प्यार!!!!!!!!
इसकी खातिर भूखी-प्यासी,
देहें रात भर जागें,
उसकी पूजा को ठुकरायें,
छाया से भी भागें,
इसके सम्मुख छुई-मुई हैं,
उसको हैं तलवार,
लड़कियाँ जैसे पहला प्यार!!!!!!!!!
राजा के सपने मन में हैं,
और फकीरें संग हैं,
जीवन औरों के हाथों में,
खिंची लकीरों संग हैं,
सपनों-सी जगमग-जगमग है,
किस्मत-सी लाचार,
लड़कियाँ जैसे पहला प्यार!!!!!!!!!
✍kumar vishwas ji
बदनाम लेखनी के इस पेज लिए पधारने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🙏🙏
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