वफा शायरी

आज अचानक तेरी याद ने मुझे रुला दिया/
क्या करू तुमने जो मुझे भुला दिया//
न करती वफ़ा न मिलती ये सजा/
शायद मेरी_वफ़ा ने ही तुझे बेवफा™ बना दिया//

बेशक कुछ वक्त का इंतजार™ मिला हमको/
पर ऊस बेवफाई से बढ़कर यार_मिला हमको//
न रही तमन्ना किसी जन्नत की हमें ए दोस्त/
तेरी दोस्ती से वो प्यार मिला हमको -- //

गुनाह करके सजा से डरते हैं/
ज़हर पी के दवा से डरते हैं//
दुश्मनों के_सितम का खौफ नहीं हमें/
हम तो दोस्तों के खफा™ होने से डरते है//

वो जिसकी याद मे हमने खर्च दी जिन्दगी अपनी।वो शख्श_आज मुझको गरीब कह के चला गया ।।

कहाँ से लाऊ हुनर उसे मनाने का!
कोई जवाब नहीं था उसके रूठ जाने का!!
मोहब्बत में_सजा मुझे ही मिलनी थी!
क्यूंकी जुर्म मैंने किया था उससे दिल™ लगाने का!!

पढ़ रहा हूँ मै..इश्क़ की किताब ऐ दोस्तों|
,ग़र बन गया_वकील तो..बेवफाओं की खैर नहीं||

बिछड़ के तुम से ज़िंदगी सज़ा लगती है|
यह साँस भी जैसे मुझ से ख़फ़ा™ लगती है ||
तड़प_उठता हूँ दर्द के मारे|
ज़ख्मों को जब तेरे शहर की हवा लगती है ||
अगर उम्मीद-ए-वफ़ा करूँ तो किस से करूँ|
मुझ को तो मेरी ज़िंदगी भी बेवफ़ा लगती है||

रास्ता ऐसा भी दुशवार न था!
,बस उसको हमारी चाहत पे ऐतबार न था!!
,वो चल न सकी हमारे_साथ वरना!
,हमे तो जान देने से भी इनकार™ न था!!

हर इल्जाम का हकदार वो हमे बना जाते है!
हर खता कि सजा™ वो हमे सुना जाते है!!
हम हरबार खामोश रह जाते है!
क्योकी वो अपना होने का हक जता जाते है!!

फ़ुलो के साथ कांटे नसिब होते है!
खुषी के साथ #गम भी नसिब होता है!!
यु तो मजबुरी ले डुबती™ हर आशिक को!
वरना खुषी से बेवफ़ा कौन होता है!!

मौहब्बत की मिसाल™ में,बस इतना ही कहूँगा।बेमिसाल सज़ा है,किसी बेगुनाह के लिए ।।

जो हुकुम करता है, वो इल्तज़ा भी करता है|
आसमान कही झुका™ भी करता है||
और तू बेवफा है तो ये #खबर भी सुन ले|
इन्तेज़ार मेरा कोई वहा भी करता है||

आज #अचानक तेरी याद ने मुझे रुला दिया|
,क्या करू तुमने जो मुझे भुला दिया||
न करती वफ़ा™ न मिलती ये सजा|
शायद मेरी वफ़ा ने ही तुझे बेवफा बना दिया||

मेरी वफा के क़ाबिल नही हो तुम|
प्यार मिले ऐसे इन्सान नही हो तुम||
दिल क्या तुम पर ऐतबार™ करेगा|
प्यार मे #धोखा दिया ऐसे बेवफा हो तुम||

तेरे प्यार का सिला हर हाल में देंगे|
,खुदा भी मांगे ये दिल तो टाल देंगे||
अगर दिल ने कहा™ तुम बेवफ़ा हो|
तो इस दिल को भी #सीने से निकाल देंगे||

ऐ बारिश मेरे अपनो को यह पैगाम देना\
खुशियों का दिन हँसी™ की शाम देना\\
 जब कोई #पढे प्यार से मेरे इस पैगाम को\
तो उन को चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान देना\\

आंसूओ तले मेरे सारे अरमान बह गये\
जिनसे उमीद लगाए थे वही #बेवफा हो गये\\
थी हूमे जिन चिरागो™ से उजाले की चाह\
वो चिराग ना जाने किन अंधेरो में खो गये\\

#बादलों से कह दो\
जरा सोच समझ के बरसे\\
अगर हमें उसकी™ याद आ गई\
तो मुकाबला बराबरी का होगा\\

इंसानों के कंधे पर इंसान जा रहे हैं¶
कफ़न में लिपट कर कुछ अरमान जा रहे हैं¶
जिन्हें मिली मोहब्बत™ में बेवफ़ाई¶
वफ़ा की तलाश में वो #कब्रिस्तान जा रहे हैं¶

आज मौसम कितना खुश गंवार हो गया✓
खत्म सभी का इंतज़ार हो गया✓
बारिश की #बूंदे गिरी कुछ इस तरह से✓
लगा जैसे आसमान™ को ज़मीन से प्यार हो गया✓

खामोशी से #बिखरना आ गया है✓
हमें अब खुद उजड़ना आ गया है✓
किसी को बेवफा™ कहते नहीं हम✓
हमें भी अब बदलना आ गया है✓

आज भीगी है पलके किसी की याद में✓
आकाश भी सिमट गया हैं अपने आप में✓
ओस की बूँद ऐसी गिरी है ज़मीन पर✓
मानो चाँद™ भी रोया हो उनकी याद में✓

किसी की याद में रोते नहीं हम✓
हमें चुपचाप जलना™ आ गया है✓
#गुलाबों को तुम अपने पास ही रखो✓
हमें कांटों पे चलना आ गया है✓

खुद भी रोता है✓
मुझे भी रुला™ के जाता है✓
ये #बारिश का मौसम✓
उसकी याद दिला के जाता है✓

मज़बूरी में जब कोई जुदा होता है✓
ज़रूरी नहीं कि वो बेवफ़ा™ होता है✓
देकर वो आपकी #आँखों में आँसू✓
अकेले में वो आपसे ज्यादा रोता है✓

रिमझिम तो है मगर सावन गायब है|
बच्चे तो हैं मगर बचपन™ गायब है..•||
क्या हो गयी है #तासीर ज़माने की यारों•|
अपने तो हैं मगर अपनापन गायब है ||

टूटे हुए प्याले में जाम नहीं आता!
इश्क़ में मरीज को आराम™ नहीं आता!!
ये बेवफा दिल तोड़ने से पहले ये सोच तो लिया होता!
की टुटा हुआ दिल किसी के काम नहीं आता !!

ऐ बारिश मेरे अपनो को यह पैगाम देना?
खुशियों का दिन हँसी™ की शाम देना?
जब कोई पढे प्यार से मेरे इस पैगाम को?
तो उन को चेहरे पर प्यारी सी #मुस्कान देना?

हमें न मोहब्बत मिली न प्यार मिला?
;हम को जो भी मिला बेवफा™ यार मिला?
अपनी तो बन गई #तमाशा ज़िन्दगी?
हर कोई अपने मकसद का तलबगार मिला?

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