Bulati hy magar jane ka nahi, rahat Indori full shayari ।बुलाती है मगर जाने का नई , ये दुनिया है इधर आने का नई। - Rahat Indori

बुलाती है मगर जाने का नईं
ये दुनिया है इधर जाने का नईं


बुलाती है मगर जाने का नईं
ये दुनिया है इधर जाने का नईं

मेरे बेटे किसी से इश्क़ कर
मगर हद से गुजर जाने का नईं

सितारें नोच कर ले जाऊँगा
मैं खाली हाथ घर जाने का नईं

वबा फैली हुई है हर तरफ
अभी माहौल मर जाने का नईं

वो गर्दन नापता है नाप ले
मगर जालिम से डर जाने का नईं


बुलाती है मगर जाने का नईं  ये दुनिया है इधर जाने का नईं
बुलाती है मगर जाने का नईं
ये दुनिया है इधर जाने का नईं

बुलाती है मगर जाने का नईं,ये दुनिया है इधर जाने का नईं


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