ग़ालिब की शायरी - 01। galib ki best top three shayari। Galib old shayari

याद
हुई मुद्दत कि ''ग़ालिब'' मर गया पर याद आता है।
वो हर इक बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता।।

रस्क
ये रश्क है कि वो होता है हमसुख़न हमसे वरना ख़ौफ़-ए-बदामोज़ी-ए-अदू क्या है।
चिपक रहा है बदन पर लहू से पैराहन हमारी ज़ेब को अब हाजत-ए-रफ़ू क्या है।।

जिगर
नज़र लगे न कहीं उसके दस्त-ओ-बाज़ू को ये लोग क्यूँ मेरे ज़ख़्मे जिगर को देखते हैं।
तेरे ज़वाहिरे तर्फ़े कुल को क्या देखें हम औजे तअले लाल-ओ-गुहर को देखते हैं।।


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