"Aankh Pyasi Hy Koi Manjar De"
"Rahat Indori ji" द्वारा लिखी गई बहुत ही सुन्दर "gajal" है जिसे आप पढ़ कर बेहद आनंद की अनुभूति करेंगे।
आँख प्यासी है कोई मंजर दे -
आशा करता हूँ कि आपको यह "राहत इंदौरी की गजल" बहुत सुंदर लगेगी और आप इसको पढ़ कर आनंदित होंगे।
तो आइये ग़ज़ल का आनंद लेते है।
आँख प्यासी है कोई मन्ज़र दे,
इस जज़ीरे को भी समन्दर दे।
अपना चेहरा तलाश करना है,
गर नहीं आइना तो पत्थर दे।।
बन्द कलियों को चाहिये शबनम ,
इन चिराग़ों में रोशनी भर दे।
पत्थरों के सरों से कर्ज़ उतार ,
इस सदी को कोई पयम्बर दे।।
क़हक़हों में गुज़र रही है हयात ,
अब किसी दिन उदास भी कर दे।
फिर न कहना के ख़ुदकुशी है गुनाह,
आज फ़ुर्सत है फ़ैसला कर दे।
तो Rahat indori ki gajal आपको कैसी लगी
हमे उम्मीद है आपको अच्छी लगी होगी ऎसी है gajal पढ्ने के लिए ऊपर सर्च बॉक्स में ग़ज़ल लिख कर सर्च कराये
धन्यवाद